My Achievement

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ME WITH DIRECTOR OF NIT RAIPUR & GOVERNOR OF CG.

Sunday, April 22, 2012

आत्महत्या तुम कभी न करना


आज पता नहीं क्या हो गया , इस नवयुग संतानों को,
अगर हो गई थोड़ी अनबन , तैयार खड़े  है मरने को।
हो गए परीक्षा मे असफल, आत्महत्या कर लेते है,
क्यो नही मुश्किलों का सामना, डटकर के वो करते है। 
क्या कारण आ जाते ऐसे, जो मौत को तुम अपनाते   हो,
एक अनजानी लड़की के कारण, अपनी जान  गवाते हो।
क्या वह लड़की आज तुम्हारे, माँ से बड़कर हो जाती?
क्या वह लड़की आज तुम्हारे, बाप  से बड़कर हो जाती?
क्या वह लड़की आज तुम्हारे, जान  से बड़कर हो जाती?
क्या वह लड़की आज तुम्हारे, परिवार  से बड़कर हो जाती?
ऐसा- वैसा काम घिनोना तुम क्यो कर जाते हो?
माँ बाप को सारी दुनिया मे, शर्मिंदा कर जाते हो।
सोचो उस माँ ने कितने,प्यार से तुमको पाला है,
तेरी लातें खाकर उसने तुमको दूध पिलाया है।
खुद भूखी रह जाती, पर तुमको भरपेट खिलाया है,
तेरी इच्छा पूरी करने, अपनी इच्छाओ का हनन किया।
चोट अगर तुझे आ जाती, माँ ने तेरा दर्द पिया,
फूँक से ठंडा करके उसने, भोजन तेरे मुँह मे दिया।
सोचो उस माँ की हालत क्या होगी जब तेरी लाश को देखेगी,
पैरों तले जमीन ना रहेगी, जब तेरी ये करतूत सुनेगी।
सोचो उस पिता के बारे मे, उसका हाल भी क्या होगा?
तेरी उँगली पकड़कर उसने, तुमको चलना सिखाया होगा। 
बचपन मे जिसने तुमको, कंधे पर अपने घुमाया  होगा,
आज उसी कंधे पर तेरी, अर्थी कैसे लेकर के  जाएगा?
सोचो अपनी बहिन के बारे मे, कैसे संग-संग खेले हो,
कैसे हालत होगी हर राखी पर,जब तेरी कलाई न सामने हो।
सोचो कैसे हालात हो जायेगे, तेरा ऐसे करने से,
सोचो कैसे कष्ट सहेंगे, तेरे ऐसे मरने से!
अपने इस जीवन मे मित्रों, ऐसा कोई कदम ना रखना,
कैसी भी आ जाए मुश्किल,  आत्महत्या तुम कभी न करना। । । 




Monday, October 18, 2010

Wednesday, September 29, 2010

उनके आने की आस बाकी है




झलक भर क्या देखा तुमको,
अल्फाज खुद व खुद गजल बन गये !

यूँ  बहते चले गये हम,
आपकी यादो में ,
न खुद की खबर रही,
न फिक्र ज़माने की !

अब तो आलम यह है,
कि बस एक झलक,
उनकी देख लेने की,
मन में आस बाकी है !

वो आये या न आये,
उनके आने की आस बाकी है !!!!
वो आये या न आये,
उनके आने की आस बाकी है !!!!

Thursday, September 23, 2010

पूर्व प्रेमी का ख़त

पूर्व प्रेमी का ख़त

 

Saturday, September 18, 2010

वो अनजानी


वो अनजानी

मैंने एक सपना देखा है,सपने में देखी अनजानी!
जब भी कोई सपना देखूं, दिखती है वो अनजानी !
जब आँखे खुलती है मेरी,सामने दिखती वो अनजानी!
जब आँखे सोती है मेरी, सपनो में दिखती वो अनजानी!
मेरी सांसे थम जाती है,दिखती जब वो अनजानी!
मेरी धड़कन बढ जाती है,नजर आये जब वो अनजानी!
चाँद को देख यही सोचू मै, शीतल होगी वो अनजानी!
सूरज देख यही सोचू मै,किरण बिखेरे वो अनजानी!
फूलो से भी सुन्दर दिखती, है वो लड़की अनजानी!
तितली से भी प्यारी लगती,है वो लड़की अनजानी!
सारे नभ में सरगम गूंजे,हँसती जब वो अनजानी!
कोयल भी चुप हो जाती है,गाती जब वो अनजानी!
स्वर्ग लोक की लगे अप्सरा,नृत्य करे जब वो अनजानी!
परीलोक की परी दिखे,जब बात करे वो अनजानी!
सारी पवन में बिखरे "सौरभ",जब चले जमी पर वो अनजानी!
सारे नभ में छाए घटाये, जब जुल्फ बिखेरे वो अनजानी!
पल पल प्यारा हो जायेगा,साथ में होगी वो अनजानी!
जिन्दगी मेरी संवर जाएगी,मिले अगर वो अनजानी!
दुनिया की परवाह ना होगी,जब साथ में होगी वो अनजानी!
जीवन में खुशिया छायेगी, मिले अगर वो अनजानी!
जीवन में "सौरभ" सुरभित हो जाये,मिले अगर वो अनजानी!
सोचता हूँ मै कहाँ पर होगी,ऐसी लड़की अनजानी!
खोजता हूँ मै पल-पल उसको,कहाँ  होगी वो अनजानी!
सोचता हूँ क्या सच में होगी,ऐसी कोई अनजानी!
या फिर मेरे सपने में ही, आती रहेगी वो अनजानी!
लेकिन यारो सच कहता हूँ,अगर मिलेगी वो अनजानी!
अजब प्रेम की गजब कहानी,बना जाएगी वो अनजानी!!!!

लेकिन यारो सच कहता हूँ,अगर मिलेगी वो अनजानी!
अजब प्रेम की गजब कहानी,बना जाएगी वो अनजानी!!!!






Saturday, September 11, 2010

आसमान तक जाऊंगा


कौन हूँ मै, क्या हूँ मै,
ये मुझे पहचानना होगा!
क्या मुझे करना है,
ये मुझे ही जानना होगा!
दुनिया में आया हूँ अकेला,
अकेले ही यहाँ  से जाना होगा!
पर जाने से पहले यहाँ,
मुझे कुछ कर दिखाना होगा!
क्या कर सकता हूँ मै,
ये मुझे है नही सोचना!
क्या करना है मुझे,
ये है मुझे सोचना!
क्या करना है मुझे,
जिस दिन ये  जान जाऊंगा !
सच कहता हूँ दुनिया वालों,
एक नया उजाला लाऊंगा!
कहता हूँ मै ये यारो,
चाँद को मै पा जाऊंगा !
जानता हूँ चाँद जमी पर नही आएगा,
पर मै आसमान तक जाऊंगा.........!!

Tuesday, August 17, 2010

क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता!
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता!

कोई सह लेता है कोई कह लेता है!
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता!

आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे!
यहाँ ठोकर देने वाला पत्थर नही होता!

क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो!
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता!

कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर!
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता!