माँ
My Achievement
Monday, October 18, 2010
Wednesday, September 29, 2010
Thursday, September 23, 2010
Saturday, September 18, 2010
वो अनजानी
वो अनजानी
मैंने एक सपना देखा है,सपने में देखी अनजानी!
जब भी कोई सपना देखूं, दिखती है वो अनजानी !
जब आँखे खुलती है मेरी,सामने दिखती वो अनजानी!
जब आँखे सोती है मेरी, सपनो में दिखती वो अनजानी!
मेरी सांसे थम जाती है,दिखती जब वो अनजानी!
मेरी धड़कन बढ जाती है,नजर आये जब वो अनजानी!
चाँद को देख यही सोचू मै, शीतल होगी वो अनजानी!
सूरज देख यही सोचू मै,किरण बिखेरे वो अनजानी!
फूलो से भी सुन्दर दिखती, है वो लड़की अनजानी!
तितली से भी प्यारी लगती,है वो लड़की अनजानी!
सारे नभ में सरगम गूंजे,हँसती जब वो अनजानी!
कोयल भी चुप हो जाती है,गाती जब वो अनजानी!
स्वर्ग लोक की लगे अप्सरा,नृत्य करे जब वो अनजानी!
परीलोक की परी दिखे,जब बात करे वो अनजानी!
सारी पवन में बिखरे "सौरभ",जब चले जमी पर वो अनजानी!
सारे नभ में छाए घटाये, जब जुल्फ बिखेरे वो अनजानी!
पल पल प्यारा हो जायेगा,साथ में होगी वो अनजानी!
जिन्दगी मेरी संवर जाएगी,मिले अगर वो अनजानी!
दुनिया की परवाह ना होगी,जब साथ में होगी वो अनजानी!
जीवन में खुशिया छायेगी, मिले अगर वो अनजानी!
जीवन में "सौरभ" सुरभित हो जाये,मिले अगर वो अनजानी!
सोचता हूँ मै कहाँ पर होगी,ऐसी लड़की अनजानी!
खोजता हूँ मै पल-पल उसको,कहाँ होगी वो अनजानी!
सोचता हूँ क्या सच में होगी,ऐसी कोई अनजानी!
या फिर मेरे सपने में ही, आती रहेगी वो अनजानी!
लेकिन यारो सच कहता हूँ,अगर मिलेगी वो अनजानी!
अजब प्रेम की गजब कहानी,बना जाएगी वो अनजानी!!!!
लेकिन यारो सच कहता हूँ,अगर मिलेगी वो अनजानी!
अजब प्रेम की गजब कहानी,बना जाएगी वो अनजानी!!!!
Saturday, September 11, 2010
आसमान तक जाऊंगा
कौन हूँ मै, क्या हूँ मै,
ये मुझे पहचानना होगा!
क्या मुझे करना है,
ये मुझे ही जानना होगा!
दुनिया में आया हूँ अकेला,
अकेले ही यहाँ से जाना होगा!
पर जाने से पहले यहाँ,
मुझे कुछ कर दिखाना होगा!
क्या कर सकता हूँ मै,
ये मुझे है नही सोचना!
क्या करना है मुझे,
ये है मुझे सोचना!
क्या करना है मुझे,
जिस दिन ये जान जाऊंगा !
सच कहता हूँ दुनिया वालों,
एक नया उजाला लाऊंगा!
कहता हूँ मै ये यारो,
चाँद को मै पा जाऊंगा !
जानता हूँ चाँद जमी पर नही आएगा,
पर मै आसमान तक जाऊंगा.........!!
Tuesday, August 17, 2010
क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता!
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता!
कोई सह लेता है कोई कह लेता है!
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता!
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे!
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे!
यहाँ ठोकर देने वाला पत्थर नही होता!
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो!
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता!
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर!
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर!
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता!
Sunday, August 15, 2010
सोच
दिन में सोचते है तुम्हे,
रात में तुम्हे सोचते है!
सोचकर सोचते है कि,
तुम्हे क्यों हर पल सोचते है !!
सोचते हुए उस सोच का ख्याल आया,
सोच जिसे हमने अपने दिल में बसाया!
सोचा सो सोच है हमे, सबसे प्यारी,
क्या सोच वो सच होगी हमारी!
आखिर सोच तो सोच होती है,
इस सोच का सोचना अब खुदा पर है!
सोचना पड़ता है दुसरे रिश्तो का भी,
बस यही सोच नही होती है काफी !
यही सोच कर दिल को तसल्ली देते है,
सोच हो न हो सच !
पर यह तो है एक सच,
कि सोच हमारी कभी तो होगी सच !!!!
Saturday, August 7, 2010
लड़ रहा हूँ
लड़ रहा हूँ ,
रेत का किला,
बनाने के लिए,
कुछ अपना है,
उसे छुपाने के लिए,
असिम्ता बचाने के लिए!!!
लड़ रहा हूँ ,
पत्थर को देवता,
बनाने के लिए,
पौरुष दिखाने के लिए,
लड़ रहा हूँ,
बस लड़ रहा हूँ,
जीवन बिताने के लिए!!!!!!!!
Thursday, August 5, 2010
Sunday, August 1, 2010
"किसी से प्यार करते हो" !!!!
कहाँ दिल छोड़ आये हो,
बहुत चुप चाप से रहते हो !
न बनते हो न सवरते हो,
न कोई बात करते हो !
भरी महफ़िल में भी अक्सर,
हमेशा खोये रहते हो!
उदासी आँखों में लेकर,
हर एक चहरे को तकते हो!
कोई जब याद आता है तो,
ठंडी आंहे भरते हो !
तो खुल कर क्यों नही कहते,
किसी से प्यार करते हो !!!!
तो खुल कर क्यों नही कहते,
किसी से प्यार करते हो !!!!
बहुत चुप चाप से रहते हो !
न बनते हो न सवरते हो,
न कोई बात करते हो !
भरी महफ़िल में भी अक्सर,
हमेशा खोये रहते हो!
उदासी आँखों में लेकर,
हर एक चहरे को तकते हो!
कोई जब याद आता है तो,
ठंडी आंहे भरते हो !
तो खुल कर क्यों नही कहते,
किसी से प्यार करते हो !!!!
तो खुल कर क्यों नही कहते,
किसी से प्यार करते हो !!!!
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