My Achievement

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Wednesday, September 29, 2010

उनके आने की आस बाकी है




झलक भर क्या देखा तुमको,
अल्फाज खुद व खुद गजल बन गये !

यूँ  बहते चले गये हम,
आपकी यादो में ,
न खुद की खबर रही,
न फिक्र ज़माने की !

अब तो आलम यह है,
कि बस एक झलक,
उनकी देख लेने की,
मन में आस बाकी है !

वो आये या न आये,
उनके आने की आस बाकी है !!!!
वो आये या न आये,
उनके आने की आस बाकी है !!!!

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