झलक भर क्या देखा तुमको,
अल्फाज खुद व खुद गजल बन गये !
यूँ बहते चले गये हम,
आपकी यादो में ,
न खुद की खबर रही,
न फिक्र ज़माने की !
अब तो आलम यह है,
कि बस एक झलक,
उनकी देख लेने की,
मन में आस बाकी है !
वो आये या न आये,
उनके आने की आस बाकी है !!!!
वो आये या न आये,
उनके आने की आस बाकी है !!!!
koun hai jiske liye itni achi poem likhi gai hai???
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